विभीषिका

इस बात से बेखबर कि उनका वीडियो शूट किया जा चुका है, मंत्री जी अपने दल-बल के साथ मौर्या कॉम्प्लेक्स के भीतर दाखिल हुये । साथ में आये कुछ छुटभैयों ने मीडिया का समूह देखा तो बाहर ही रुक गये । उनके पास टीवी पर आने का मौका था । बैरिकेड के इस पार खड़े होकर वह अपनी तस्वीरें खिंचवाने लगे । इनमें से एक से किसी पत्रकार ने बात करनी चाही, तो उसने इस पूरे प्रकरण को राजनैतिक साजिश बताते हुये कहा कि इसमें विपक्षी दल की भूमिका है।

कॉम्प्लेक्स के अन्दर घुसते ही दाहिनी तरफ एक बड़ा सम्मेलन कक्ष था । मंत्री जी और उनके साथ आए लोगों के बैठने का यहीं इंतज़ाम किया गया था । सबके लिये कुर्सियाँ पर्याप्त संख्या में उपलब्ध थीं, जिन्हें सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुये दूर-दूर रखा गया था । मंत्री जी ने कक्ष में आकर मेज़ के अग्रिम छोर पर अपना स्थान ग्रहण किया । पर जैसा कि बैठकों में अक्सर देखा गया है, अन्य लोगों में उनके नज़दीक बैठने के लिये होड़ सी मच गयी । अधिकारीगण तो एक तरफ अपनी वरिष्ठता के क्रमानुसार बैठ गये, पर दूसरी तरफ सत्ताधारी दल के नेताओं में अभी भी जद्दोजहद छिड़ी हुयी थी। यहाँ मानक वरिष्ठता नहीं, अपितु यह था कि कौन मंत्री जी के कितने करीब है या उनका कितना खास है। लगभग पाँच मिनट की रस्साकशी के बाद जाकर सबको जैसे-तैसे अपनी प्रतिष्ठानुसार जगह मिली ।

गृहमंत्री के एक तरफ पुलिस कमिश्नर उदयभान सिंह और दूसरी तरफ एक आदमी था, जो अपने हुलिये से किसी वार्ड का काऊंसिलर मालूम पड़ता था । सफ़ेद शर्ट और सफ़ेद पैंट पहने, माथे पर लाल रंग का लम्बा टीका और गले में लटकती सोने की मोटी चेन, जो सौ ग्राम से कम की न होगी । पटना के लगभग सभी वार्ड  काऊंसिलर्स की यही वेषभूषा है ।

“सर, अपरबाज़ार में मास्क्स की होर्डिंग हो रही थी । वहाँ करीब बीस लाख मास्क और 5 लाख बोतल सेनेटाइजर पकड़े गये हैं । यहाँ से स्मगल करके विदेश में बेचने का भी प्लान था । कस्टम्स ने इनका सीज़र किया है।” उदयभान सिंह ने मंत्री जी को पूरे मामले की जानकारी दी, जो पुलिस इंस्पेक्टर रवि से उन्हें प्राप्त हुयी थी।

“सारा सामान कहाँ रखे हैं”? मंत्री जी ने पूछा।

पुलिस सुपरिंटेंडेंट पी के लोढ़ा मेज़ के आखिर में बैठे थे। उन्होंने जवाब दिया, “सर शेड में”।

“मीडिया को तो पूरी बात की जानकारी नहीं है ना अभी ।” ? मंत्री जी ने पूछा।

कमिश्नर उदयभान ने पी. के. लोढ़ा की तरफ एक नज़र डाली। आँखों ही आँखों में कुछ बात हुयी। “नहीं सर अभी तक तो detail लीक नहीं हुयी हैं। उदयभान ने मंत्रीजी को जवाब दिया।

“Good. ऐसा करो 15 लाख मास्क्स और जितना भी सेनेटाइजर मिला है सब पीछे के रास्ते वार्ड काऊंसिलर गौतम जी के ट्रक में लदवा दो।” मंत्रीजी की बात समझ उदयभान के माथे पर सिकुडन आ गयी ।

“लेकिन सर…राज्य में मारा-मारी चल रही है इन चीजों की । और सर…”

“ कमिश्नर साहब … आपका हिस्सा पहुच जाएगा । और जनता का भी ख्याल है हमें । मुख्यमंत्री जी से बात कर लिए हैं हम..आपदा कोष से 150 करोड़ रूपये खर्च कर मास्क्स मंगवाए जा रहे है ।” उदयभान की बात को मंत्रीजी ने बीच में ही काट बताया ।

कमिश्नर साहब के चेहरे से जाहिर था कि मंत्रीजी के जवाब से वो संतुष्ट नहीं थे । लेकिन वो कुछ और बोल पाते इस से पहले ही मंत्री जी ने उनके पास में आ कान में फुसफुसाया “वो आप पर enquiry वाली फाइल कल ही आई है मेरी मेज पर”

इस एक बात में जैसे उन्हें अपने सारे जवाब मिल गए “जी सर आप जैसे बोलें… काम हो जाएगा ।”

“और मीडिया को आप संभाल लीजियेगा ।” कहते हुए मत्री जी शेड की तरफ चलने के लिए उठ खड़े हुए ।

मंत्री जी के साथ सबको खड़ा होना पड़ा । जिन कुर्सियों के लिये मारामारी की नौबत आ गयी थी, वह अचानक रिक्त हो गयीं।

“आइये सर, इस तरफ से” । पी के लोढ़ा अपनी जगह से उठकर मंत्री जी के पास आये और रास्ता दिखाने के लिये आगे हो लिये।

मंत्री जी के साथ पुलिस कमिश्नर, उनके अगल बगल सुरक्षा कर्मी और अन्य सभी उनके पीछे-पीछे चल दिये। जाते जाते कमिश्नर ने पुलिस इंस्पेक्टर रवि को कुछ समझा दिया । तभी एक सिपाही दौड़कर उसके पास आया।

“सर, कुछ लोग बार-बार अन्दर आने की ज़िद कर रहे हैं। मना करो तो कहते हैं कि सस्पैंड करा देंगे। आप ही चलकर समझाइए” । सिपाही ने आकर अपनी परेशानी व्यक्त की।

रवि ने कॉम्प्लेक्स के अन्दर आते समय बंदोबस्त में खड़े पुलिस वालों को सख्त निर्देश दिया था कि अब किसी और को घुसने ना दिया जाये। पर तस्वीरें खिंचवाने का शौक पूरा करने के बाद जो छुटभैये बाहर रुक गये थे,उनके सिर पर अब भीतर जाकर जब्त किया सामान देखने का भूत सवार था ।

फिर उनमें से एक ने सामने आकर कहा। “हमें जाकर देखना है कि अन्दर क्या हो रहा है। पब्लिक तो हमसे पूछती है न, क्या जवाब देंगे उनको”।

रवि को इस व्यक्ति पर, जिसने स्वयं को इन छुटभैयों के समूह का अघोषित सरदार समझ लिया था, बहुत क्रोध आ रहा था। उसका बस चलता तो इस आदमी को अभी दो थप्पड़ रसीद कर देता। पर उसने संयम रखना उचित समझा।

“अन्दर पहले से ही बहुत भीड़ है। तुम सबको भी अन्दर जाने देना खतरे से खाली नहीं। “रवि ने पुनः मना करते हुये कहा।

तभी मीडिया के कुछ लोग भी रवि के पास इकठ्ठा से हो गए “हमें मंत्री जी से मिलना है । जमाखोरी की इस घटना पर हमें पूरी जानकारी चाहिए । “ समूह में से एक बोला।

“ जी देखिये मंत्री जी तो किसी आपातकालीन बैठक में हिस्सा लेने के लिए मुख्यमंत्री आवास निकल गए । जहां तक कल की घटना की बात है तो वहाँ से हमें कुछ ५ लाख मास्क्स और सेनेटाइजर के कुछ बॉक्स मिले हैं । मंत्रीजी ने जमाखोरों पर सख्त कार्यवाही करने का निर्देश देने के साथ साथ ये निर्णय लिया है कि इन मास्क्स को गरीब लोगों में निशुल्क वितरित कर दिया जाए । “

इस दरियादिली पर मंत्री जी के चमचों ने उनकी जय-जयकार शुरू कर दी । लेकिन मीडिया के कुछ लोगों को इंस्पेक्टर रवि का ये statement सही नहीं लगा । “इंस्पेक्टर हमें तो खबर मिली थी कि 50 लाख से ज्यादा मास्क्स और बहुत बड़ी संख्या में सेनेटाइजर की जमाखोरी पकड़ी गयी थी । तो बाकी का जब्त किया सामन कहाँ चला गया । कहीं ये कोई  “कोरोना घोटाला ” तो नहीं । हमें मंत्रीजी से जवाब चाहिए ।

बाकी पत्रकारों के भी कुछ ऐसे ही चुभते सवालों के कारण समर्थकों और मीडिया वालों के बीच झड़प शुरू हो गयी । हालात खराब होता देख रवि ने बगल में खड़े सिपाही से लाठी ले हवा में लहराई ही थी  कि भीड़ पीछे हटकर तितर-बितर हो गई। भीड़ को पूरी तरह हटाने का उपाय भी रवि को मिल गया था। सोशल डिस्टेंसिंग। उसने सिपाही से फौरन लाउडस्पीकर और माइक मंगाया और घोषणा की।

“कृपया सब यहाँ से चले जाएँ। भीड़ न लगायें । यदि आप में से कोई एक भी कोविड पॉज़िटिव हुआ, तो यहाँ जितने लोग हैं सबको होने का खतरा है। आप सभी अपना-अपना नाम, पता और मोबाइल नम्बर एक कागज़ पर लिखकर जमा कर दें । ज़रूरत पड़ी तो आपको क्वारेंटाइन पर भेजा जाएगा” ।

युक्ति काम कर गयी । मंत्री जी के आने पर पत्रकारों के मन में कोविड का भय जो कहीं गायब हो गया था, अब पुनः घर कर गया। सरकारी इन्तेजामों में क्वारेंटाइन की बदतर स्थिति का सबको पता था । कुछ देर पहले तक मत्रीजी से मिलने की हठ किये बैठे लोग तेज़ी से अपने रास्ते निकल लिए ।

रवि ने सिपाही की तरफ देखा और फिर दोनों हँसने लगे।

image Source : https://www.facebook.com/HatecorruptioninIndia , http://bitter-truth-manoj-kumar-kargudri.blogspot.com/2012/07/corruption-in-india-by-rich-politicians.html

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