बदलते रिश्ते

वो एक साथ एक ही प्लेट में टूटकर खाना खाने वाले बच्चे आज अलग अलग से दिखाई दे रहे थे । बचपन में जहाँ बिना किसी बात के घंटो बातें और हंसी ठिठोली होती थी आज वहीं बातों का जैसे अकाल पड़ गया हो । माना समय के साथ बढती जिम्मेदारियों और कामयाबी की इस दौड़ में रिश्तों का दायरा कम होता चला जा रहा है ।

कल

एक कल का इन्तेज़ार अमन के बीमार दादाजी को भी है । उनके अधिकतर फोन कॉल्स पर अमन का एक ही जवाब “अभी time नहीं है दादू, कल आराम से बात करता हूँ”, लेकिन दादाजी को डर है कि इस कल के आने से पहले कहीं उनके जीवन के सफर का आखरी पड़ाव ना आ जाए ।

भगवान का कण

श्रीमतीजी की आँखों में उमड़ते श्रद्धा भाव को देख कर प्रथम द्रष्टया तो मुझे लगा कि शायद फिर कहीं कोई मूर्ती जमीन से अवतरित हुयी होगी… या फिर गणेश जी से मिलती जुलती कोई फल/सब्जी किसी बाग से मिल गई होगी । हमारे देश में धर्मं से जुडी भावनाएं छोटी-छोटी चीज़ों से ही जाग्रत हो जाती हैं ।