Dad’s Gift

“cool down माँ…पापा शहर के स्टील किंग हैं और मैं हूँ उनका एकलौता शहजादा । अब शहजादे तो थोड़े बिगड़े हुए होते ही हैं । और पापा के होते हुए मुझे पैसों की क्या चिंता । Right Pa…” बोलते हुए उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिया । बाप-बेटे की उस high five के बीच हम कितनी देर तक हँसते रहे ।

विभीषिका

युक्ति काम कर गयी । मंत्री जी के आने पर पत्रकारों के मन में कोविड का भय जो कहीं गायब हो गया था, अब पुनः घर कर गया। सरकारी इन्तेजामों में क्वारेंटाइन की बदतर स्थिति का सबको पता था । कुछ देर पहले तक मत्रीजी से मिलने की हठ किये बैठे लोग तेज़ी से अपने रास्ते निकल लिए ।

परिवर्तन

पिछले हफ्ते भी तो किसी किताब में पढ़ा था “ If you wouldn’t act for change in your life then who will??? And if it’s not now then when? ” उस समय तो बात बड़ी अच्छी लगी थी । अपना WhatsApp status भी बना लिया था मैंने तो । लेकिन फिर उसी status की तरह इस बात पर अमल करने का जूनून भी 24 घंटे में काफूर हो गया ।

जंग

वो तालियाँ जो देशवाशियों ने हमारे सम्मान में बजाई थीं । वो थालियाँ जिनकी घनघनाहट कोरोना से इस जंग का शंखनाद थीं । ये जंग अभी खत्म नहीं हुयी है । एक-एक सांस के लिए संघर्ष करते मरीजों को हमारी जरूरत है । कोरोना के गहराते अँधेरे के बीच देशवासियों की उन उम्मीदों को हमारी जरूरत है । लड़ाई अभी बहुत लंबी चलेगी और हर योद्धा का लड़ाई के आखिरी मुकाम तक डटे रहना बहुत जरूरी है ।