मोल

हम मैं से अधिकाँश के लिए सामान्य सी दिखने वाली उन चीजों को खोने का मलाल काउंटर से अपने कदम पीछे खीचती हुयी उस बच्ची के चेहरे और आँखों में रुके आंसुओं में दिखाई दे रहा था । परन्तु इस पूरे घटनाक्रम के बावजूद उसकी माँ के चेहरे पर अफ़सोस की जगह संतुष्टि थी ।

कल

एक कल का इन्तेज़ार अमन के बीमार दादाजी को भी है । उनके अधिकतर फोन कॉल्स पर अमन का एक ही जवाब “अभी time नहीं है दादू, कल आराम से बात करता हूँ”, लेकिन दादाजी को डर है कि इस कल के आने से पहले कहीं उनके जीवन के सफर का आखरी पड़ाव ना आ जाए ।

भगवान का कण

श्रीमतीजी की आँखों में उमड़ते श्रद्धा भाव को देख कर प्रथम द्रष्टया तो मुझे लगा कि शायद फिर कहीं कोई मूर्ती जमीन से अवतरित हुयी होगी… या फिर गणेश जी से मिलती जुलती कोई फल/सब्जी किसी बाग से मिल गई होगी । हमारे देश में धर्मं से जुडी भावनाएं छोटी-छोटी चीज़ों से ही जाग्रत हो जाती हैं ।