निवेश

“दादा…थोड़ा अपने और परिवार के बारे में भी सोचो । यूँ इधर-उधर आप इन लोगों पर पैसे लुटा रहे हो, आपको क्या लगता है कि वे आपके पैसे वापस कर पायेंगे? अपने भविष्य के लिए पैसों को सही जगह निवेश करो दादा ।” मेरी बात पर दादा हँस दिए थे “ऊपर वाले की दया से परिवार में किसी चीज की कोई कमी नहीं महेश । जहां तक रही भविष्य की बात तो उसे किसने देखा है? हाँ लेकिन ये जरूर है कि इन पैसों की मेरे भविष्य से ज्यादा जरूरत आज इन लोगों के वर्तमान को है ।

Dad’s Gift

“cool down माँ…पापा शहर के स्टील किंग हैं और मैं हूँ उनका एकलौता शहजादा । अब शहजादे तो थोड़े बिगड़े हुए होते ही हैं । और पापा के होते हुए मुझे पैसों की क्या चिंता । Right Pa…” बोलते हुए उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिया । बाप-बेटे की उस high five के बीच हम कितनी देर तक हँसते रहे ।

विभीषिका

युक्ति काम कर गयी । मंत्री जी के आने पर पत्रकारों के मन में कोविड का भय जो कहीं गायब हो गया था, अब पुनः घर कर गया। सरकारी इन्तेजामों में क्वारेंटाइन की बदतर स्थिति का सबको पता था । कुछ देर पहले तक मत्रीजी से मिलने की हठ किये बैठे लोग तेज़ी से अपने रास्ते निकल लिए ।

आभार

उन पुराने दिनों की कुछ यादें ताज़ा कर वो आदमी चला गया लेकिन विशाल के दिमाग में घूमती बातों का एक तूफ़ान छोड़ गया । यदि उसका पैक किया पैराशूट उस दिन काम नहीं करता तो वह आज यहाँ नहीं होता ।