बदलते रिश्ते

वो एक साथ एक ही प्लेट में टूटकर खाना खाने वाले बच्चे आज अलग अलग से दिखाई दे रहे थे । बचपन में जहाँ बिना किसी बात के घंटो बातें और हंसी ठिठोली होती थी आज वहीं बातों का जैसे अकाल पड़ गया हो । माना समय के साथ बढती जिम्मेदारियों और कामयाबी की इस दौड़ में रिश्तों का दायरा कम होता चला जा रहा है ।