आभार

            एयर कमांडर विशाल वायुसेना में एक फाइटर जेट पायलट थे । निर्भीक और साहसी । एक लड़ाई में शत्रु देश के साथ लोहा लेते समय उनके प्लेन पर एक मिसाइल लगी… प्लेन को सँभालने के साथ-साथ दुश्मन देश के विमानों को खदेड़ने की कोशिश के दौरान प्लेन तेजी से नीचे जा रहा था । हर संभव कोशिश के बावजूद जब कोई और रास्ता न बचा तो विशाल ने सीट के पास लगे लीवर को खींच दिया । एक धमाके के साथ प्लेन की canopy के परखच्चे उड़ गए । सीट के नीचे लगे राकेटों ने विशाल को सीट समेत ऊपर धकेल दिया था । इस भीषण झटके ने विशाल को थोड़ी देर के लिए विवेकशून्य कर दिया लेकिन उनकी कमर पर बंधा पैराशूट अपने कर्तव्य को निभाते हुए स्वतः खुल गया । अनियंत्रित हो नीचे गिरते विशाल को पैराशूट ने संभाल लिया था । पैराशूट की सहायता से धीरे धीरे नीचे आ रहे विशाल की आंखें रेगिस्तान की रेत में crash हो धू-धू जलते फाइटर जेट को देख रही थी । नीचे उतरते ही उन्हें तत्काल मेडिकल सहायता के लिए ले जाया गया । अगले दिन अखबारों और समाचारों में उनकी वीरता का बखान था । उनकी इस वीरता के लिए कई पुरूस्कार और मेडल भी मिले ।

विशाल को रिटायर हुए अब 5 साल से ज्यादा हो गए हैं । एक दिन रेस्टोरेंट में जब विशाल अपनी पत्नी उपासना और बेटी के साथ बैठे हुए थे तभी एक आदमी दूसरी टेबल से उनके पास आया ।

“आप एयर कमांडर विशाल हो ना…आप ही के प्लेन को मिसाइल लगी थी” चेहरे पर उत्साह लिए उस आदमी ने पूछा

“Yes… लेकिन आपको कैसे पता?” थोड़ा आश्चर्यचकित हो विशाल ने पूछा

उस आदमी ने मुस्कुराते हुए विशाल को सैल्यूट किया “उस दिन मैंने ही आपका पैराशूट पैक किया था” ।

विशाल की आँखें आश्चर्य से फ़ैल गयी । उन्हें वो चेहरा अब कुछ जाना पहचाना सा लग रहा था । उन पुराने दिनों की कुछ यादें ताज़ा कर वो आदमी चला गया लेकिन विशाल के दिमाग में घूमती बातों का एक तूफ़ान छोड़ गया । यदि उसका पैक किया पैराशूट उस दिन काम नहीं करता तो वह आज यहाँ नहीं होता ।  विशाल उस पूरी रात सो नहीं पाया, वह उस आदमी और वैसे ही कितने और लोगों के बारे में सोचता रहा जो शांत हो अपना काम पूरी निष्ठां से करते थे ताकि वो हवा में सुरक्षित रहे और दुश्मन को करार जवाब दे सके । मैंने इस आदमी को कितनी बार देखा,पर कभी उसे यह नहीं कहा- “गुड मॉर्निंग… आप कैसे हो” मैंने उसके काम के लिए कभी “Thank you नहीं बोला ” क्योंकि मुझे गर्व था अपने फाइटर पायलट होने का और वह आदमी सिर्फ एक सेफ्टी वर्कर था । विशाल को मिले वाहवाही और मान-सम्मान में आज उसे इन लोगों का भी योगदान समझ आ रहा था ।   

इसलिए दोस्तों यह हमेशा ध्यान रखें कि आपका पैराशूट कौन पैक कर रहा है । हर आदमी के साथ ऐसा कोई है जो उसे वह देता है, जिससे हमारा जीवन चलता है । जीवन में जब विपत्तियाँ आती हैं तो हमें बहुत सारे पैराशूट की जरूरत पड़ती है । कई बार फिजिकल पैराशूट लगता है, कई बार मेंटल पैराशूट । कभी इमोशनल पैराशूट,  स्पिरिचुअल पैराशूट और फाइनेंसियल पैराशूट भी लगता है ।

हम इन सब को सपोर्ट बोल सकते हैं, सुरक्षित होने के पहले का सपोर्ट । जीवन की इस यात्रा में सुरक्षित और संतुलित छलांग लगाने के लिए कभी-कभी हिम्मत और मेहनत के साथ कन्धों पर पैराशूट की जरूरत भी पड़ती है । कई बार जीवन की आपाधापी में हम इन्हीं पैराशूट प्रदाताओं को Hello, Please, thank you कहना और उनके प्रति आभार व्यक्त करना भूल जाते हैं ।

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